सूर्य का राशि में परिवर्तन करना एक अहम घटना माना जाता हैं। सूर्य देव पूरे वर्ष में एक – एक कर सभी राशियों में प्रवेश करते हैं। इनके इस चक्र को संक्रांति कहा जाता हैं। सूर्य के राशि परिवर्तन से जातको के राशिफल पर असर पड़ता हैं। मेष राशि से वृषभ (Taurus )राशि में सूर्य का संक्रमण वृषभ संक्रांति कहलाता हैं। सूर्य के इस परिवर्तन से सौर वर्ष के मास की गणना की जाती हैं। इस वर्ष 2020 में यह वृषभ संक्रांति 14 मई को मनाई जाएगी।
वृषभ संक्रांति क्यों मनाते हैं।
मान्यता के अनुसार जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता हैं। उसे संक्रांति कहते हैं। जब सूर्य मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करता हैं, तब उसे वृषभ संक्रांति के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन वृषभ राशि वाले जातको पर भी इसका बहुत अधिक प्रभाव पड़ता हैं।
शुभ मुहूर्त –
पुण्यकाल | 10:19 सुबह से 05:33 शाम तक |
महापुण्यकाल | 03:17 दोपहर से 05:33 शाम तक |
व्रषभ संक्रांति पूजा विधि –
वृषभ संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। तत्पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन सूर्य देव और भगवान शिव के ‘ऋषभरूद्र’ स्वरुप की पूजा की जाती हैं। इस दिन दान का बहुत अधिक महत्व होता हैं। इस दिन गाय की पूजा करना अधिक शुभ माना जाता हैं। इस दिन गौदान बहुत खास माना जाता हैं।
वृषभ का अर्थ- बैल से होता हैं। बैल को नंदी कहा जाता हैं। साथ ही भगवान शिव का वाहन नंदी भी एक बैल हैं। इसलिए वृषभ राशि का अपना एक अलग ही महत्व हैं।
इस दिन भगवान शिव व विष्णु की पूजा कर अपने अच्छे भविष्य की कामना करना चाहिए। जिससे मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।
शिव जी की आरती
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
Originally posted 2020-05-03 06:01:04.