वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि बहुत ही शुभ मानी जाती हैं। इस तृतीय तिथि को अक्षय तृतीया या आखा तीज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन किये गए कार्य का अक्षय शुभफल मिलता हैं। इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। अक्षय तृतीया बहुत ही शुभ मानी जाती हैं। इस दिन सभी मांगलिक कार्य संपन्न किये जाते हैं।

प्राचीन कथा –
हिन्दु कैलेन्डर के अनुसार भगवान विष्णु के छटवें अवतार भगवान परशुराम जी का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीय को हुआ था। इस अक्षय तृतीया व परशुराम जयंती को एक बड़े पर्व के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन भगवान विष्णु व मांँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती हैं। इस वर्ष २०२० में २६ अप्रैल को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाएगा ।
शुभ मुहूर्त –
अक्षय तृतीया | रविवार २६ अप्रैल ,२०२० |
पूजा मुहूर्त | 5:45 से 12:19 तक |
सोना खरीदना | 11:51 से 05:45 तक |
तिथि प्रांरभ। | 11:51 ,25 अप्रैल से |
समाप्ति | रविवार ,26 अप्रैल 01:22 तक |
मांगलिक कार्य –
अक्षय तृतीया का दिन बड़ा ही शुभ माना जाता हैं। इस दिन सभी मांगलिक कार्य पूर्ण किये जाते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार यदि किसी के विवाह मुहूर्त में कोई अड़चने आती हैं ,तो वह इस दिन विवाह कार्य संपन्न कर सकते हैं। अक्षय तृतीया का दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक शुभ माना जाता हैं। इसलिए इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, नये वस्त्र, आभूषण, वाहन आदि का ख़रीदना बड़ा शुभ माना जाता हैं।

पूजन विधि –
अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान कर भगवान विष्णु व माँ लक्ष्मी जी की प्रतिमा की पूजा अर्चना की जाती हैं। पुष्प,फल व सबुत चावल, चंदन, धूप अगरबत्ती आदि अर्पण किया जाता हैं।
मान्यता है कि हिंदु धर्मं में मिट्टी के घड़े में पानी भरकर उसके चारो दिशा में मिट्टी रखी जाती हैं। जिस दिशा की मिट्टी ज्यादा भीग जाती हैं उस दिशा में ज्यादा बारिश होती है, ऐसा अनुमान लगाया जाता हैं। तथा उस घड़े की पूजा की जाती हैं। अनेक जगहों पर आज भी ऐसे ही पूजा की जाती हैं।
इस दिन भगवान बद्रीनाथ जी की भी पूजा पूरे विधि विधान से की जाती हैं।
पिण्डदान पुण्य –
प्राचीन काल से इस दिन दान पुण्य की रीति चली आ रही हैं। पुराणो के अनुसार इस दिन पिण्डदान अथवा सभी प्रकार का दान कर अक्षय फल प्रदान करना चाहिए। इस दिन किये गये दान, पूजा अर्चना आदि सभी का फल बहुत ही बढ जाता हैं।
Originally posted 2020-04-26 10:26:18.